गीत ---
1दीपों की लडिया सजाएँ
लौ से लौ जलाएं
आओ खुशियाँ फैलाएं
द्वार पे रंगोली डले
असंख दिवली खिले
सुप्त मन , तम में
दिया औ बाती जले ,
अंतर्घट की ज्योत जलाएं
आओ खुशियाँ फैलाएं
कुटिलता से भरे
शामनी से परे
बांकपन की आग में
तन को स्वाहा करे ,
दुर्गुणों को जड़ से मिटाएँ
आओ खुशियाँ फैलाएं
सद्गुणों का चाँद हो
शीतलता व्याप्त हो
यतीम ,बेघर ,हिंसा की
न ऐसी काली रात हो ,
गली गली चौबारे पे
सज्ञान के दीपक जलाएं
आओ खुशियाँ फैलाएं .
------ शशि पुरवार
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2
गौधुली बेला में
दमकता दिया
स्नेहिल आबंध
हर्षित हिया
सोने का कंगन
चांदी की बिछिया
हीरे जैसे पिया
धडके जिया
विश्वास की बाती
प्रेम का दिवा
समर्पण भाव
अर्पण किया
खील - बताशे
मिठाई, पटाखे
गणेश लक्ष्मी का
वंदन किया
घर ,मन दिवाली
पग पग उजेरा
अमावश को भी
रौशन किया .
गौधुली बेला में
दमकता दिया
स्नेहिल आबंध
हर्षित हिया
सोने का कंगन
चांदी की बिछिया
हीरे जैसे पिया
धडके जिया
विश्वास की बाती
प्रेम का दिवा
समर्पण भाव
अर्पण किया
खील - बताशे
मिठाई, पटाखे
गणेश लक्ष्मी का
वंदन किया
घर ,मन दिवाली
पग पग उजेरा
अमावश को भी
रौशन किया .
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3 ---
हाइकु
रंगों से भरा
सलोना बचपन
फूलपाखरू
रंगबिरंगे
प्रकृति के नज़ारे
झील किनारे
दीप भी सजे
मोरपंखी रंगों से
लौ इठलाये .
गोधुली बेला
गणेश लक्ष्मी विराजे
शुभ औ लाभ
दिया औ बाती
अटूट है बंधन
तम का साथी
रंगबिरंगे
बंदनबार सजे
युगसंधि में .
दीपो का पर्व
रौशनी का उत्सव
रैना दमके .
तम गहन
पटाखों की बहार
दीपो उल्लास .
दीपो की लड़ी
मनमोहिनी सखी
बाती भी जली
==============================सलोना बचपन
फूलपाखरू
रंगबिरंगे
प्रकृति के नज़ारे
झील किनारे
दीप भी सजे
मोरपंखी रंगों से
लौ इठलाये .
गोधुली बेला
गणेश लक्ष्मी विराजे
शुभ औ लाभ
दिया औ बाती
अटूट है बंधन
तम का साथी
रंगबिरंगे
बंदनबार सजे
युगसंधि में .
दीपो का पर्व
रौशनी का उत्सव
रैना दमके .
तम गहन
पटाखों की बहार
दीपो उल्लास .
दीपो की लड़ी
मनमोहिनी सखी
बाती भी जली
घर ,मन दिवाली
पग पग उजेरा
अमावश को भी
रौशन किया .
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1 पहना है अब गहना
हार बिंदी कंगना
दीप सजें है अंगना
2 खूब हुई मनुहार
सजन गए ससुराल
दिवाली घर द्वार
3 दिवाली का त्यौहार
पिया से तकरार
मिला हीरो का हार .
4 दीपो की है बहार
खास पिय का प्यार
सजाओ बंदनबार
5 सांझ दीप है जलें
दिल वाट पाहे
अब खुशियाँ आन मिले .
--शशि पुरवार
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चोका -----
रिश्तों में खास
विश्वास की मिठास
प्रेम की बाती
रौशनी की बहार
बाटें खुशियाँ
हर दिन त्यौहार
हीरे से ज्यादा
अनमोल है प्यार
है जमा पूँजी
रिश्तों की सौगात
सजन संग
बसाया है संसार
नए बंधन
स्नेहिल उपहार
दिलों की प्रीत
अमूल्य पतवार
मन ,उमंग
शीतलता व्याप्त
पल पल हो
घर मने दिवाली
हर दिन त्यौहार .
-----------शशि पुरवार
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दीपक कहे बाती से , दूर हो अंधियारा
सज्ञान की जलती ज्योत , फैलाए उजियारा .............................
सभी मित्रो को सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये , दीपावली का यह पर्व आप सभी के जीवन में खुशियाँ लेकर आये -----आपका जीवन सदैव खुशियों से परिपूर्ण हो ,-------शशि पुरवार