Saturday, April 28, 2012
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समीक्षा -- है न -
शशि पुरवार Shashipurwar@gmail.com समीक्षा है न - मुकेश कुमार सिन्हा है ना “ मुकेश कुमार सिन्हा का काव्य संग्रह जिसमें प्रेम के विविध रं...
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बहुत सुंदर प्रस्तुति,..बेहतरीन पोस्ट
ReplyDeleteMY RESENT POST .....आगे कोई मोड नही ....
बहुत सुंदर............
ReplyDeleteमुट्ठी ना ज्यादा कसनी है ना ढीली छोडनी है..............
सकारात्मक सोच लिये बहुत सुंदर और प्रभावी रचना...
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteसादर
कल 29/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
हलचल - एक निवेदन +आज के लिंक्स
जीवन का हौसला बढ़ाती बेहतरीन रचना शशि जी...
ReplyDeleteआप यूँ ही लिखती रहें हम सब का हौसला बढ़ता रहे यही दुआ है....
बढिया
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा है |
ReplyDeleteआशा
प्रेरक और खूबसूरत रचना
ReplyDeleteजीवन दर्शन को समेटे सार्थक प्रस्तुति !
ReplyDeletesarthak sandesh...
ReplyDeletesundar rachna
ReplyDeleteबहुत गहरी बात कही है आपने शशि जी
ReplyDeleteनंगे पैरों से चलकर बनता है आशियाँ.
ReplyDeleteयह समीक्षा भी जरूरी है समय समय पर सही राह पकडने के लिये. गया वक्त भी दोबारा नहीं आता.
सुंदर प्रस्तुति.
बेहतरीन और शानदार......आखिरी पंक्तियाँ तो कमाल की हैं।
ReplyDeleteये ही जिंदगी हैं
ReplyDeleteसच है जीवन में हिम्मत नहीं छोडनी चाहिए ...कठिनाइयां तो आती रहेंगी सामना जरूरी है ... अच्छी रचना ..
ReplyDeleteआपके पोस्ट पर आना सार्थक हुआ । प्रस्तुति अच्छी लगी । मेरे पोस्ट पर आपका आमंत्रण है । धन्यवाद ।
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