फागुन की मनुहार सखी री
गंध पत्र ऋतुओं ने बाँटे
उपवन पड़ा हिंडोला
चटक नशीले टेसू ने फिर
प्रेम रंग है घोला
गंध पत्र ऋतुओं ने बाँटे
मादक सी पुरवाई
पतझर बीता, लगी उमड़ने
मौसम की अंगड़ाई
छैल छबीले रंग फाग के
मन भी मेरा डोला
चटक नशीले टेसू ने फिर
प्रेम रंग है घोला।
राग बसंती,चंग बजाओ
उमंगो की पिचकारी
धरती से अम्बर तक गूंजे
खुशियों की किलकारी
अनुबंधों का प्रणय निवेदन
फागुन का हथगोला
अनुबंधों का प्रणय निवेदन
फागुन का हथगोला
चटक नशीले टेसू ने फिर
प्रेम रंग है घोला।
मनमोहक रंगो से खेलें
खूनी ना हो होली
द्वेष मिटाकर जश्न मनाओ
भीगी चुनरी चोली
चंचल हिरणी के नैनो में
सुख का उड़न खटोला
चटक नशीले टेसू ने फिर
प्रेम रंग है घोला