1 सर्द हुआ मौसम
तन्हाई में
सिमटी रात
कोई तो जलाओ
अब अलाव .
2
रुत बदले
मौसम ने ली
अंगडाई
शीत लहर से
खामोशी भी
घबराई .
3
चाँदी के कण
जो उतरे धरा पे
बिछी चाँदनी
लहू को जमा दे
कैसे निभाए फर्ज .
4
पीर धरा की
सही न जाये
तपता रेगिस्तान
अब सर्द मौसम
मलहम लगाये .
5
बन जाऊं में
शीतल पवन
जो तपन मिटाऊं
बहती जलधारा
प्यास बुझाऊं .
6
सर्द मौसम में
सिकुड़ जाती है यादें
जम जाता है लहू
बिखरी बाते .
7
सर्द मौसम में
सिमटता धरा का
अंग ,
बर्फ का कण
पिघलता है
रिश्तों की
तपिश में
8
सर्द मौसम
गरीब मांगे बस
दो गज का कपडा
प्यार के दो बोल बस .
9
कितनी प्यारी राते
चाँद तारो के संग
बचपन की प्यारी बाते
बीते पलछिन .
10
रचाओ हाथ अब
अब मेंहंदी
हार बिंदी कंगना
सजन पधारे अंगना .
कितनी करायी मनुहार
फिर दिखा के ठसक
साजन चले ससुराल .
11
झरते श्वेत कण
ढक रहे थे
पेड़ रस्ते
और साथ में
जम रहे थे
रिश्तो में
जज्बात .
12
दूर तलक
खाली पड़े थे
रस्ते ,
ठिठुरती
सर्द रात में
सड़क किनारे
कोई सिमटा फटी
कामरी में .
13
जम गए थे रिश्ते
बर्फ की तरह
बहता है लहु
अब आँखों में .
14
बर्फीली वादियों में
सन्नाटे को चीरती
ख़ामोशी में
चहलकदमी करती
देश की खातिर
अकेली जान .
---------शशि पुरवार