shashi purwar writer

Monday, April 29, 2013

कह दो मन की बातें


1
छूटी सारी गलियाँ
बाबुल का अँगना
वो बाग़ों की कलियाँ ।
2
सारे  थे दर्द  सहे
तन- मन टूट गए
आँखों से पीर बहे ।
3
थी तपन भरी आँखें
मन भी मौन रहा
थी टूट रही साँसें ।

4
पीड़ा फिर  क्यों  भड़की ?
भाव  सभी सोए
खोली दिल की खिड़की
5
क्या पाप किया मैंने !
गरल भरा  प्याला
हर रोज़ पिया मैंने  ।


  शशि पुरवार

12 comments:

  1. वाह !!! बहुत बढ़िया,उम्दा प्रस्तुति !!! शशि जी,,,
    Recent post: तुम्हारा चेहरा ,

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  2. बातें मन की कह जाने दो..

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  3. बातें मन की गहन पीड़ा को लिए हुये ..... एक ही पोस्ट आपकी दो बार लिखी गयी है । एडिट कर लें

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  4. मन के दर्द को कुछ शब्दों में कहने का गहन प्रयास ... ओर सफल रहा ये प्रयास ...
    बहुत ही उम्दा प्रस्तुति ...

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  5. बहुत खूबसूरती से लिखे गए माहिया, गाते गाते मन प्रसन्न हो गया। हार्दिक बधाई शशि....

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  6. हृदयस्पर्शी..

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  7. हृदयस्पर्शी..

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  8. बहुत सुन्दर प्रस्तुति शशि जी !

    latest postजीवन संध्या
    latest post परम्परा

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  9. बहुत खूब कही आपने दिल की बात |

    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

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  10. मन के दर्द को सुन्दर शब्दों में प्रस्तुति,आपका आभार.

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  11. मन की पीड़ा, नन्हे-नन्हे बिम्बों में सुंदरता से व्यक्त की गई हैं.

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