shashi purwar writer

Thursday, August 1, 2013

यूँ बदल गए मौसम।

 1
क्यूँ तुम खामोश रहे
पहले कौन कहे
दोनों ही तड़प सहें ।

2
आसान नहीं राहें
पग- पग पे  धोखा
थामी तेरी बाहें ।

3
सतरंगी यह जीवन
राही चलता जा
बहुरंगी तेरा मन ।

4
साँचे ही करम करो
छल करना छोड़ो
उजियारे रंग भरो ।

5
बीते कल की बतियाँ
महकाती यादें
है आँखों में रतियाँ ।

6
ये  पीर पुरानी है
यूँ बदले  मौसम 
खुशियाँ नूरानी है  ।


है खुशियों को जीना
हँसता चल राही
दुःख आज नहीं पीना ।


मन में सपने जागे
पैसे की खातिर
क्यूँ हर पल हम भागे?


है दिल में जोश भरा
मंजिल मिलती है
दो पल ठहर जरा ।

१०
झम झम बरसा पानी
मौसम बदल गए
क्यूँ रूठ गई रानी ?

११
क्यों मद में होते  हो
दो पल का जीवन
क्यों नाते खोते हो ।

१२
है क्या सुख की भाषा
हलचल है दिल में
क्यों  टूट रही आशा ।?

१३
दिन आज सुहाना है
कल की खातिर क्यों
फिर आज जलाना है ।

----शशि पुरवार

12 comments:

  1. सतरंगी जीवन और बहुरंगी मन ने रच दिए मौसम के नए तराने!

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  2. 3
    सतरंगी यह जीवन
    राही चलता जा
    बहुरंगी तेरा मन ।

    4
    साँचे ही करम करो
    छल करना छोड़ो
    उजियारे रंग भरो ।
    बहुत खुबसूरत अभिव्यक्ति
    latest post,नेताजी कहीन है।
    latest postअनुभूति : वर्षा ऋतु

    ReplyDelete
  3. मौसम की कोमलता मन में भी उतर आये..

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  4. बहुत ही सशक्त और प्रभवाशाली.

    रामराम.

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  5. वाह . बहुत सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति

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  6. भावो का सुन्दर समायोजन......

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  7. वाह बहुत खूबसूरत लेखनी

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  8. क्यूँ तुम खामोश रहे
    पहले कौन कहे
    दोनों ही तड़प सहें ।
    Kya gazab dhaya hai!

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  9. anu ji kasham ji ,kali ji praveen ji ,shushma ji tau ji ,sangeeta ji anupama ji ,kaliprasad ji aap sabka tahe dil se abhaar ,

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  10. बहुत सुंदर, बहुत शुभकामनाये

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  11. सभी माहिया बहुत भावपूर्ण, बधाई.

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