खिली चांदनी
झूमें लताओं पर
मुस्काती चंपा .
तरु पे खेले
मनमोहिनी चंपा
धौल कँवल .
मन प्रांगन
यादों की चित्रकारी
महकी चंपा .
दुग्ध है पान
हलद का श्रृंगार
चंपा ने किया
चंपा मोहिनी
झलकता सौन्दर्य
शशि सा खिले .-
-- शशि पुरवार
शशि पुरवार Shashipurwar@gmail.com समीक्षा है न - मुकेश कुमार सिन्हा है ना “ मुकेश कुमार सिन्हा का काव्य संग्रह जिसमें प्रेम के विविध रं...