सपन सलोने,
नैनो में
जिया, भ्रमर सा डोला है
छटा गुलाबी, गालो को
होले -हौले सहलाये
सुर्ख मेंहदी हाथो की
प्रियतम की याद दिलाये
बिना कहे,
हाल जिया का
दो अँखियो ने, खोला है
हँसी ठिठोली, मंगल-गीत
गूँज रहे है घर, अँगना
हल्दी,उबटन,तेल हिना
खनके हांथो का कंगना
खिला शगुन के
चंदन से
चंचल मुखड़ा भोला है
छेड़े सखियाँ, थिरक रही
फिर, पैरों की पैंजनियां
बालो में गजरा महके
माथे झूमर ओढ़नियाँ
खुसुर फुसुर की
बतियों ने
कानो में रस घोला है
सखी- सहेली छूट रही
कल पिय के घर है जाना
फिर ,रंग भरे सपनो को
स्नेह उमंगो से सजाना
मधुर,
तरानो से बिखरा
राग रंग का रोला है।
-- शशि पुरवार
३० /१ / २०१४
चित्र - गूगल से आभार
नैनो में
जिया, भ्रमर सा डोला है
छटा गुलाबी, गालो को
होले -हौले सहलाये
सुर्ख मेंहदी हाथो की
प्रियतम की याद दिलाये
बिना कहे,
हाल जिया का
दो अँखियो ने, खोला है
हँसी ठिठोली, मंगल-गीत
गूँज रहे है घर, अँगना
हल्दी,उबटन,तेल हिना
खनके हांथो का कंगना
खिला शगुन के
चंदन से
चंचल मुखड़ा भोला है
छेड़े सखियाँ, थिरक रही
फिर, पैरों की पैंजनियां
बालो में गजरा महके
माथे झूमर ओढ़नियाँ
खुसुर फुसुर की
बतियों ने
कानो में रस घोला है
सखी- सहेली छूट रही
कल पिय के घर है जाना
फिर ,रंग भरे सपनो को
स्नेह उमंगो से सजाना
मधुर,
तरानो से बिखरा
राग रंग का रोला है।
-- शशि पुरवार
३० /१ / २०१४
चित्र - गूगल से आभार