शहर में इंकलाब हो जाए 
गॉँव भी आबताब हो जाए  १ 
लोग जब बंदगी करे दिल  से 
हर नियत मेहराब हो जाए  २ 
हौसले गर बुलंद हो दिल में 
रास्ते कामयाब हो जाए ३  
ज्ञान का दीप भी धरूँ मन में 
जिंदगी फिर गुलाब हो  जाए ४ 
दो कदम साथ तुम चलो मेरे 
हर ख़ुशी बेनकाब हो जाए५ 
कौन रक्षा करे असूलों की 
बद नियत जब जनाब हो जाए ६ 
जुस्तजू है, सृजन करूँ  कैसे
हाल ए दिल शराब हो  जाए ७ 
इक तड़पती गजल लिखूं कोई 
हर पहेली जबाब हो जाए.८ 
पास आये कभी चिलक दिल में 
फिर कहे शशि किताब हो जाए ९ 
शशि पुरवार 





