नववर्ष के हाइकु
१
नव उल्लास
नव उल्लास
उम्मींदों का सूरज
मीठी सुवास
२
धूप सोनल
गुजरा हुआ कल
स्वर्णिम पल
३
नवउल्लास
खिड़की से झाँकता
वेद प्रकाश
४
स्वर्ण किरण
रोम रोम निखरे
धरा दुल्हन
५
गुजरा वक़्त
जीवन की परीक्षा
ना लागे सख्त
-- शशि पुरवार
नवगीत -
नये वर्ष से है ,हम सबको
उम्मीदें कुछ खास
आँगन के बूढ़े बरगद की
झुकी हुई डाली
मौसम घर का बदल गया, फिर
विवश हुआ माली
ठिठुर रहे है सर्द हवा में
भीगे से अहसास
दरक गये दरवाजे घर के
आँधी थी आयी
तिनका तिनका उजड़ गया फिर
बेसुध है माई
जतन कर रही बूढी साँसे
आये कोई पास
चूँ चूँ करती नन्हीं चिड़िया
समझ नहीं पाये
दुनियाँ उसकी बदल गयी है
कौन उसे बताये
ऊँची ऊँची अटारियों पे
सूनेपन का वास
नए वर्ष का देख आगवन
पंछी गाते गीत
बागों की कलियाँ भी झूमे
भ्रमर का संगीत
नयी ताजगी ,नयी उमंगें
मन में है उल्लास
नये वर्ष से है हम सबको
उम्मीदें कुछ खास।
शशि पुरवार
समस्त ब्लॉगर परिवार और स्नेहिल मित्रों को सपरिवार नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ
अनुभूति पत्रिका में प्रकाशित गीत -