पवन में झूमती
है कोमलांगी।
.
३
ले अंगडाई
बीजों से निकलते
नवपत्रक .
४
प्रफुल्लित है
ये नन्हे प्यारे पौधे
छूना न मुझे
५
ये हरी भरी
झूमती है फसलें
लहकती सी।
६
तप्त धरती
सब बीजों को मिला
नव जीवन ।
७
बीजों से झांके
बेक़रार पृकृति
थाम लो मुझे
८
मुस्कुराती है
ये नन्ही सी कालिया
तोड़ो न मुझे।
९
पत्रों पे बैठे
बारिश के मनके
जड़ा है हीरा।
जड़ा है हीरा।
१०
हवा के संग
खेलती ये लताएँ
पुलकित है
११
संग खेलते
ऊँचे होते पादप
छू लें आसमां
-- शशि पुरवार
नमस्ते मित्रो लम्बे अंतराल के बाद ब्लॉग पर पुनः सक्रियता और वापसी कर रहे है , आशा है आपका स्नेह सदा की तरह मिलता रहेगा। -- जल्दी आपसे आपके ब्लॉग पर भी मिलंगे। स्नेह बनाये रखे -- आप सभी का दिन मंगलमय हो - शशि पुरवार
हवा के संग
खेलती ये लताएँ
पुलकित है
११
संग खेलते
ऊँचे होते पादप
छू लें आसमां
-- शशि पुरवार
नमस्ते मित्रो लम्बे अंतराल के बाद ब्लॉग पर पुनः सक्रियता और वापसी कर रहे है , आशा है आपका स्नेह सदा की तरह मिलता रहेगा। -- जल्दी आपसे आपके ब्लॉग पर भी मिलंगे। स्नेह बनाये रखे -- आप सभी का दिन मंगलमय हो - शशि पुरवार