१
छन्न पकैया छन्न पकैया, ऋतु बसंत है आयी
फिर कोयल कूके बागों में ,झूम रही अमराई
२
छन्न पकैया छन्न पकैया, उमर हुई है बाली
होली खेलें जीजा - साली, बीबी देती गाली
३
छन्न पकैया छन्न पकैया ,दिन गर्मी के आये
ठंडा मौसम , ठंडा पानी, होली मनवा भाये।
४
छन्न पकैया छन्न पकैया ,होली है मनरंगी
कैसे कैसे नखरे करते ,खेले साथी संगी .
५
छन्न पकैया छन्न पकैया ,नेट बड़ा है पापी
थोडा थोडा लिखने आती , होती आपाधापी।
६
छन्न पकैया छन्न पकैया ,मजा फाग का आया
दीवानो की टोली घूमे , रंग गुलाल लगाया
७
छन्न पकैया छन्न पकैया ,गाँवो का है दर्जा
पर्चे बाँटे महंगाई ने ,लील रहा है कर्जा
८
छन्न पकैया छन्न पकैया ,गुझिया मन को भायी
भंग मिला कर पकवानो में , होली खूब मनायी
९
छन्न पकैया छन्न पकैया ,रंगा रंग भयी होली
छंदो के रस में भीगी है , सबकी मीठी बोली
१०
छन्न पकैया छन्न पकैया ,छंदो का क्या कहना
एक है हीरा दूजा मोती, बने कलम का गहना
११
छन्न पकैया छन्न पकैया ,राग हुआ है कैसा
प्रेम रंग की होली खेलो ,दोन टके का पैसा
१२
छन्न पकैया छन्न पकैया ,रंग भरी पिचकारी
बुरा न मानो होली है ,कह ,खेले दुनिया सारी
१३
छन्न पकैया छन्न पकैया , होली खूब मनाये
बीती बाते बिसरा दे ,तो , प्रेम निति अपनाये
१४
छन्न पकैया छन्न पकैया ,दुनिया है सतरंगी
क्या झूठा है क्या सच्चा है, मुखड़े है दो रंगी
१५
छन्न पकैया छन्न पकैया , बजे हाथ से ताली
छेड़े जीजा साली भागे ,मेरी ,आधी घरवाली .
१६
छन्न पकैया छन्न पकैया , सासू जी मुस्कायी
देवर - भाभी होली खेले , सैयां पे बन आयी।
१७
छन्न पकैया छन्न पकैया ,प्यारी प्यारी सखियाँ
दूर दूर से मिलने आय़ी ,करती प्यारी बतियाँ
-- शशि पुरवार
१६ मार्च २०१४
कुछ माहिया
१
ऐ ,री, सखि तुम आओ
रंगो की मस्ती
मेले में खो जाओ .
२
भंग चढ़ी है ऐसी
झूम रहे सजना
यह होली है देसी
३
फिर मुखड़ा लाल हुआ
नयनों में सजना
मन आज गुलाल हुआ।
४
पकवानो में होड़ लगी
गुझिया ही जीती
शीरे में खूब पगी
५
मनभावन यह होली
दो पल में भूले
वैरी अपनी बोली
६
रंग भरी पिचकारी
छेड़ रहे सजना
सजनी , आज नहीं हारी।
मित्रो हम जरा देर से आये। … :) पर धमाल हो जाये ,समस्त ब्लोगर परिवार को होली की हार्दिक रंग भरी शुभकामनायें। होली के सभी रंग आपके जीवन में भी उमंग भर दे -- हार्दिक शुभकामनायो सहित -- शशि पुरवार