कुछ पलों का घना अँधेरा है
रैन के बाद ही सवेरा है.
जग नजाकत भरी अदा देखे
रात्रि में चाँद का बसेरा है.
हर नियत पाक दिल नहीं होती
जाल सठ का बुना घनेरा है.
रंज जीवन नहीं रजा ढूंढो
हर कदम हर्ष का फुलेरा है.
इश्क है हर नदी को सागर से
इल्म है जोग भी निबेरा है.
मै मसीहा नहीं मुसाफिर हूँ
मुफलिसी ने मुझे ठठेरा है.
जिंदगी इम्तिहान लेती है
वक़्त सबसे बड़ा लुटेरा है।
- शशि पुरवाररात्रि में चाँद का बसेरा है.
हर नियत पाक दिल नहीं होती
जाल सठ का बुना घनेरा है.
रंज जीवन नहीं रजा ढूंढो
हर कदम हर्ष का फुलेरा है.
इश्क है हर नदी को सागर से
इल्म है जोग भी निबेरा है.
मै मसीहा नहीं मुसाफिर हूँ
मुफलिसी ने मुझे ठठेरा है.
जिंदगी इम्तिहान लेती है
वक़्त सबसे बड़ा लुटेरा है।