जिंदगी अनमोल है नित, हौसलों के गीत गाना
हर कमी तन की भुलाकर, साथ जग के मुस्कुराना
जिस्म गर विकलांग है तो, तुम बदलना सोच अपनी
लिख सकोगे नव इबारत, भाग्य हाथों से बनाना
तन अपाहिज है नहीं मन, मर्ज को ताकत बनाओ
जग हँसे या मीत रूठे, पीर को मत गुनगुनाना
दर्द की मीठी लहर, जब, देह मन को चीर देगी
टूटना मत, नित सँभलना, ख्वाब आँखों में सजाना
राह पथरीली बहुत ही, हर कदम पर इंतिहाँ है
समय के निष्ठुर पहर पर, दीप आशा के जलाना
हर कमी तन की नहीं, मन की हमेशा सोच होती
नजरिया जग का बदलना, और खुल कर मुस्कुराना।
शशि पुरवार
हर कमी तन की भुलाकर, साथ जग के मुस्कुराना
जिस्म गर विकलांग है तो, तुम बदलना सोच अपनी
लिख सकोगे नव इबारत, भाग्य हाथों से बनाना
तन अपाहिज है नहीं मन, मर्ज को ताकत बनाओ
जग हँसे या मीत रूठे, पीर को मत गुनगुनाना
दर्द की मीठी लहर, जब, देह मन को चीर देगी
टूटना मत, नित सँभलना, ख्वाब आँखों में सजाना
राह पथरीली बहुत ही, हर कदम पर इंतिहाँ है
समय के निष्ठुर पहर पर, दीप आशा के जलाना
हर कमी तन की नहीं, मन की हमेशा सोच होती
नजरिया जग का बदलना, और खुल कर मुस्कुराना।
शशि पुरवार